
भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डॉ. रघुराम राजन ने कहा है कि भारत को जरूरत है कि वह जितनी जल्दी हो इन्क्रीमेंटल बजट पॉलिसी से दूर जाए और सिर्फ मैन्युफैक्चरिंग या कृषि जैसे सेक्टर्स के बारे में सोचना बंद करे। सरकार अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए एक रोडमैप बनाए।
इंटरव्यू में राजन ने सुझाए कई रास्ते
एक इंटरव्यू में राजन ने बताया कि इस समय भारत को न तो ज्यादा आशावादी होने और न ही ज्यादा निराशावादी होने की जरूरत है। बाजार के साथ-साथ जनता का विश्वास बनाए रखना किसी भी बजट का उद्देश्य होता है। अर्थव्यवस्था को पटरी पर कैसे लाया जाए, इस बारे में एक निश्चित रोडमैप होना चाहिए। यह विश्वसनीय होना चाहिए और दिखना भी चाहिए। नहीं तो यह लापरवाही का संकेत देता है।
डिमांड का समर्थन करने की जरूरत
इस पॉइंट पर आकर डिमांड का समर्थन करने की भी जरूरत है। केंद्र और राज्यों द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर पर जोर दिया जाना चाहिए। राजन कहते हैं कि यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि राज्य वह कर रहे हैं जो वे वहां कर सकते हैं, क्योंकि ऐसा करने से ही लो लेवल पर ही सही, नौकरियों का निर्माण होगा। इसकी फिलहाल सख्त जरूरत है।
मनरेगा को फाइनेंस किया जाए
कुछ उपायों में मनरेगा को अच्छी तरह से फाइनेंस करना और उन सेक्टर्स को संभालना शामिल होना चाहिए जो बुरे दौर से गुजर रहे हैं। ऐसे में टेलीमेडिसिन, टेली लॉयरिंग और एजुटेक जैसे नए सेक्टर्स की ओर देखने की जरूरत है। राजन के मुताबिक, इन उद्योगों को फंडिंग की नहीं, बल्कि वैश्विक मानकों को पूरा करने वाले डेटा प्रोटेक्शन के बेहतर नियमों की जरूरत है।
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