12 में से 8 राशियों के लिए दिन सफलता और आर्थिक लाभ देने वाला, 4 राशियों को हो सकता है कुछ नुकसान
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5 जुलाई 2020 को गुरु पूर्णिमा मनाई जाएगी। इस बार गुरु पूर्णिमा पर राहु मिथनु राशि में सूर्य के साथ, केतु धनु राशि में चंद्र-गुरु के साथ रहेगा और मांद्य चंद्र ग्रहण होगा। इसे उपच्छाया और पेनुमब्रल चंद्र ग्रहण कहते हैं। भारतीय समय के अनुसार रविवार सुबह 8.37 बजे से 11.22 बजे तक रहेगा। ये ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा, लेकिन अमेरिका और अफ्रीका में चंद्र के ऊपर धूल जैसी परत दिखाई देगी।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार मांद्य चंद्र ग्रहण का किसी भी प्रकार का धार्मिक असर नहीं रहता है। इसका सूतक भी नहीं होगा। गुरु पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण का योग 19 साल पहले 5 जुलाई 2001 को बना था। उस दिन भी गुरु पूर्णिमा पर सूर्य-राहु मिथुन राशि में थे और साथ में गुरु भी था। धनु राशि में केवल चंद्र-केतु थे। 2020 वाला चंद्र ग्रहण मांद्य है, जबकि 2001 में आंशिक चंद्र ग्रहण हुआ था। आंशिक चंद्र ग्रहण में सभी नियम मान्य होते हैं।
अब 18 साल गुरु पूर्णिमा पर होगा मांद्य चंद्र ग्रहण
2020 के बाद 16 जुलाई 2038 में यानी 18 साल बाद इसी तरह का योग बनेगा। उस समय भी सूर्य-राहु की मिथुन राशि में, चंद्र-केतु की युति धनु राशि में होगी और गुरु पूर्णिमा पर मांद्य चंद्र ग्रहण होगा।
किसे कहते हैं उपच्छाया ग्रहण?
ये मांद्य यानी उपच्छाया चंद्र ग्रहण है। मांद्य का अर्थ है न्यूनतम यानी मंद होने की क्रिया। इसलिए इस चंद्र ग्रहण को लेकर सूतक नहीं रहेगा। इसका किसी भी तरह का धार्मिक असर नहीं होगा। इस ग्रहण में चंद्र के आगे पृथ्वी की धूल जैसी छाया रहेगी। ये ग्रहण विशेष उपकरणों से आसानी से समझा जा सकेगा।
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