तालिबान का दावा, 9/11 के हमलों में अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन का हाथ नहीं था
नई दिल्ली। अफगानिस्तान (Afghanistan) में बंदूक के दम पर हकूमत करने वाले तालिबान (Taliban) अब अपना असली रंग दिखाने लगा है। काब
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इस्लामाबाद। पाकिस्तान (Pakistan) को प्रतिबंधित सूची में जाने का डर सता रहा है। इससे बचने के लिए वह हर मुमकिन प्रयास कर रहा है। तालिबान (Taliban) को पोषित करने वाले पाकिस्तान ने अब फैसला लिया है कि वह उस पर वित्तीय प्रतिबंध लगाएगा। गौरतलब है कि आतंकी समूह (Terrorist Group) तालिबान और अमरीकी नेतृत्व के बीच शांति वार्ता जारी है। अब तक तालिबान ने लगातार अफगानिस्तान सरकार की नाक में दम कर रखा था। इसे लेकर अफगानिस्तान सरकार भी पाकिस्तान का हाथ मानती आई है।
यह आदेश शुक्रवार की देर रात जारी किया गया। प्रतिबंध में शामिल लोगों में तालिबान के मुख्य शांति वार्ताकार अब्दुल गनी बारादर और हक्कानी परिवार के कई सदस्य शामिल हैं। इनमें हक्कानी परिवार का सिराजुद्दीन भी जोड़ा गया है। ये वर्तमान में हक्कानी नेटवर्क के प्रमुख हैं और तालिबान का उप प्रमुख है।
प्रतिबंधित सूची में तालिबान के अलावा अन्य समूह को भी शामिल किया गया है। इसे संयुक्त राष्ट्र की तरफ से अफगान समूहों पर लगाए गए पांच वर्ष के प्रतिबंध और उनकी संपति को जब्त किए जाने की तर्ज पर लागू किया है। पाक के सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (FATF) द्वारा पाकिस्तान को काली सूची में डाले जाने से बचने के तहत ये आदेश जारी किया गया है। एफएटीएफ धनशोधन के मामलों पर नजर रखता है और आतंकवादी समूहों की गतिविधियों कड़ी निगरानी करता है।
ग्रे सूची में इस्लामाबाद
गौरतलब है कि पेरिस के इस संगठन ने बीते वर्ष इस्लामाबाद को ग्रे सूची में रखा था। अभी तक केवल ईरान और उत्तर कोरिया ही काली सूची में शामिल हैं। काली सूची वाले देशों पर वैश्विक स्तर पर प्रतिबंध लगाए जाते हैं। अगर पाक अपने प्रयासों में असफल साबित होता है तो उसे काली सूची में डाल दिया जाएगा। अधिकारियों के अनुसार पाकिस्तान ग्रे सूची से बाहर निकलने का प्रयास कर रहा है।
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